अहिंसा से जूझता हुआ भारत,
धार्मिक उन्माद में डूबा हुआ भारत,
असत्य को सत्य पर विजयी देखता भारत,
धर्म, जाति और क्षेत्र पर बँटा भारत,
पर्यावरण को नष्ट करता हुआ भारत,
भ्रष्टाचार में लिप्त भारत,
क्या यह गाँधी के सपनों का भारत है?
हरगिज़ नहीं यह भारत तो गाँधी से बहुत दूर जा चुका है।
यहाँ गाँधी महज इतिहास पुरूष बनकर रह गए हैं,
सरकारी दफ्तरों में फोटो लगाकर और
गाँधी जयंती को ड्राई डे मनाकर ही सीमित हो गई है,
गाँधी की विरासत इस भारत में.
Thursday, October 2, 2008
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