पर आवाम तो अभी भी भूख, भ्रष्टाचार और भय से मुक्ति नही पायी है।
तो क्या चन्द लोगों की तरक्की को वतन की तरक्की समझना एक बड़ी भूल नहीं?
Poverty,Starvation,War,Terror etc. puncture the claim of human species being the most superior one.Human species can justify its most evolved status only if it can create a society free of exploitation of its own species.This requires a scientific temper to understand everything that exists and change everything that is required.
पर आवाम तो अभी भी भूख, भ्रष्टाचार और भय से मुक्ति नही पायी है।
तो क्या चन्द लोगों की तरक्की को वतन की तरक्की समझना एक बड़ी भूल नहीं?